साँझ हुई परदेस में – विकाश कुमार

VIKASH KUMARअतिथि लेखक,उर्दू शायरी,हिंदी कविताएँ February 11, 2019 0 Minutes फ़रवरी 2019 में न्यू यॉर्क के एक होटेल के कमरे से मैंने ज़िंदगी की जदोजहद को शब्दों में पिरोने की कोशिश की । आशा है आपको पसंद आएगी ।  साँझ हुई परदेस मेंदिल देश में डूब गयाअब इस भागदौड़ सेजी अपना ऊब गया वरदान मिलने की चाह… Continue reading साँझ हुई परदेस में – विकाश कुमार

Or hum…….

fromLifewithwordsblog उम्र बिना रुके सफर कर रही है और हम ख्वाहिशे लेकर वही खड़े है ।। सांसे बिना रुके गिनती बढ़ा रही है और हम कुछ लम्हो को लेकर वही खड़े है ।। वक्त बिना रुके उड़ता जा रहा है और हम जज्बातों को पकडे वही खड़े है ।। ज़िन्दगी बिना रुके कही चली जा… Continue reading Or hum…….

ये सड़कें – ज्ञान प्रकाश सिंह

2 नव कविबाल कविताएँहिंदीहिंदी कविता अट्ठाइस चक्के वाले ट्रकचलते सड़कों के सीने परएक साथ बहुतेरे आतेहैं दहाड़तेरौंदा करतेतब चिल्लाती हैं ये सड़केंऔर कभी जबअट्ठहास करते बुलडोजरदौड़ लगाते उनके ऊपरतब चीखा करती हैं सड़केंकितना सहती हैंये सड़कें।X X Xसड़क किनारे रहने वालेएवंयात्रा करने वालेसड़ी गली मलयुक्त गन्दगीकरते रहते हैं सड़कों परऔर जानवरकरते गोबरमैला भर देते हैं… Continue reading ये सड़कें – ज्ञान प्रकाश सिंह

“मैं बन जाता हूँ हर रोज़ एक इंसान नया” — अल्फ़ाज़ में नुमायाँ वज़ूद © RockShayar Irfan Ali Khan

दिल में उठता है हर रोज़ एक तूफान नया मैं बन जाता हूँ हर रोज़ एक इंसान नया। रातभर आँखें जागकर काम करती रहती हैं तब तामीर होता है ख़्वाबों का एक जहान नया।। via “मैं बन जाता हूँ हर रोज़ एक इंसान नया” — अल्फ़ाज़ में नुमायाँ वज़ूद © RockShayar Irfan Ali Khan

शेर -ओ-नगमा – खुमार बाराबंकवी

कभी शेर-ओ-नगमा बनके कभी आँसूओ में ढलके वो मुझे मिले तो लेकिन, मिले सूरते बदलके कि वफा की सख़्त राहे कि तुम्हारे पाव नाज़ुक न लो इंतकाम मुझसे मेरे साथ-साथ चलके न तो होश से ताल्लुक न जूनू से आशनाई ये कहाँ पहुँच गये हम तेरी बज़्म से निकलके – खुमार बाराबंकवी

मैं चुप हूँ

  मैं चुप हूँ चुप ही रहूँगा इंतजार करूँगा उस पल का जब आएगा कोई वहशी मेरे द्वारे मेरे लहू के टुकड़े को via मैं चुप हूँ – विकास-कुमार — Kayvashaala

Nature…

प्रक्रति है ये, कहा किसी का दिया कुछ रखती है, ये तो बस सब का ख्याल रखती है, आधे के बदले पुरे का हिसाब रखती है, एक के बदले दो का गणित रखती है, प्यार और नफरत का अपना हिसाब रखती है , प्रक्रति है ये, कहा किसी का दिया कुछ रखती है ।। आज… via… Continue reading Nature…