बहोत सारे शेर ….. मोहब्बत के नाम…..
जब भी फुरसत मिले… पढ लिया किजीये.
फ़ासले दरमियाँ हमारे बराबर रहे
हम दो क़दम चले वो दो क़दम हटे
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वो सांस थी, रूक गयी
मैं जिंदगी था, ठहर गया..
वो मुस्कान थी, खो गई,
मैं जज्बात था, बिखर गया
वो आस थी, टूट गई,
मैं इक आह था, भर गया
वो नजर थी, झुक गयी
मैं शब्द था, मिट गया
वो फूल थी, टूट गई,
मैं अश्क था, बह गया
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बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है,
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है.
तड़प उठता हूँ दर्द के मारे,
ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है
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कितना अजीब है, अन्दाज तेरी मोहब्बत का
रुला के कहते हो अपना ख्याल रखना.
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टूट जाएगा तेरे गुरुर का महल उस वक्त
जब मिलेगी खबर तुझे की हम किसी और के हो गए
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Bhut khub👌🏻
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