धर्मवादी नही इन्सानवादी बने
Hindi Poems|हिंदी कविता| Hindi Kavita

कौन कसूरवार
ये जो गलियां कल तक झूम रहीं थी,
आज ना जाने क्यों चुप हैं।
सड़के बस तन्हा सी चली जा रही
जाने इनको कौन सा दुख है ।
ये कैसा सन्नाटा छाया है ?
ये कैसा समय अब आया है?
कौन बतायेगा हमें,
कहीं से कुछ लोग मिले
जो कुछ-कुछ कहने लगे
किसी ने कहा “सुना नहीं
क्या हुआ इस मुहल्ले में?”
“अरे! उन बच्चों की चीखें
कैसे नहीं सुनी तुमने”
“हाहाकार की आवाज़ें तो गूंज उठी थी”
पर मैंने तो कुछ सुना नहीं
“बेचारे अनाथ बच्चे थे”
“बहुत मारा उन्हें उन्होंने “
“कौन से बच्चे, किसने मारा, क्यों मारा ?”
मेरे सवाल से वो सहम गए और कहा
“तुमने नहीं सुना तो हमें भी नहीं पता “
विनती और कई वादों के बाद पता चला
जो सच,उसने तो दिल छलनी कर दिया
धर्म की राजनीति ने मासूमों को पीटा
और साथ दिया कानून के रखवालों ने
पर…
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नमो बुध्दाय जय भीम
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