मिलना मेरे आखरी दिन
भले कितने गीले शिकवे हो
नजरो पे चढ़ाये हुए परदे हो
फुलफुलाती बहकती सांसे हो
अटकती लड़खड़ाती जुबाँ हो
कुछ यादो से भरे पन्ने हो
या आँखों से लपेटते आँसू हो
दिल मे बौखलाती कोई तमन्ना हो
या किस्मत ने चुराया हुआ समय से कोई पन्ना हो
गले से ना उतरने वाला निवाला हो..
ये रिश्ता तूने खुद से नही शायद खुदी से पाला हो
तो मिलना मेरे आखरी दिन….
मिलना मेरे आखरी दिन
अब ना वो शान ए शोहरत होगी
न खुद में डूब जाए वो नशेमन जरूरत होगी
नाम ए वस्ल फुकरत ए वफ़ा
टूट जाएगी वो जंजीरे बस्स एक ओढ़ी हुई कफन होगी
ना होगी किसीसे नफरत ,ना होंगे आँसू
बिन अश्को के ही ये आँखे यूँ अदब में ही नम होगी
रहेगा मेरा माफीनामा
हाँ सुन मेरे दोस्त मेरे हमदम
रहेगा मेरा माफीनामा
पुश्तों बाद जो तेरी शिकायत आज शायद अमल होगी
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