मैं अब भी सफर करती हूँ… 

आज के महिला दिन को समर्पित प्रतिभा गुप्ता की ये कविता ……. फिरसे शेअर कर रहा हुं.

मैं डरती हूँ, घबराती हूँ, तुम्हारे इस बदलते जमाने से। मैं सम्भलती हूँ, अकड़ दिखाती हूँ, तुम्हारे इसी बदलते जमाने से। मैं हूँ आज की, पर हूँ पुरानी सी, मैं रूह हूँ आवाज़ की, पर हूँ कहानी सी। मुझे सुन रहे हो तो सुनो! मैं चलती हूँ उन सूनी सड़कों पर अब भी रात में, […]

via मैं अब भी सफर करती हूँ…  — mynthdiary

11 thoughts on “मैं अब भी सफर करती हूँ… ”

  1. बहुत बढ़िया लेख है। समय-समय पर विभिन्न प्रकार के अच्छे बलौग की सामग्री पढ़ना अच्छा लगता है । 😊
    मेरे ब्लॉग पर आपके विचार का मुझे इंतज़ार रहेगा 🙏🏼
    https://classicalpoems.com

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