आज के महिला दिन को समर्पित प्रतिभा गुप्ता की ये कविता ……. फिरसे शेअर कर रहा हुं.
मैं डरती हूँ, घबराती हूँ, तुम्हारे इस बदलते जमाने से। मैं सम्भलती हूँ, अकड़ दिखाती हूँ, तुम्हारे इसी बदलते जमाने से। मैं हूँ आज की, पर हूँ पुरानी सी, मैं रूह हूँ आवाज़ की, पर हूँ कहानी सी। मुझे सुन रहे हो तो सुनो! मैं चलती हूँ उन सूनी सड़कों पर अब भी रात में, […]
धन्यवाद।
LikeLiked by 1 person
बहुत बढ़िया लेख है। समय-समय पर विभिन्न प्रकार के अच्छे बलौग की सामग्री पढ़ना अच्छा लगता है । 😊
मेरे ब्लॉग पर आपके विचार का मुझे इंतज़ार रहेगा 🙏🏼
https://classicalpoems.com
LikeLiked by 3 people
bahut badhiya blog hai aapka , padhkar acha laga
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद
LikeLike
बेहतरीन
LikeLike
Nice and strong…
LikeLike
बहुत ही सुन्दर लेख लिखा है जी।
LikeLiked by 1 person
Reblogged this on गोष्टी सुरस आणि मनोरंजक व बरच काही.
LikeLiked by 1 person
महिला दिवस एक बहुत अच्छी कविता !!
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद सर
LikeLike
मेरे ब्लॉगको फॉलो करनेलियेंभी धन्यवाद
LikeLike